चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी, जग को तारो भोली माँ
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चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
जन को तारो भोली माँ,
काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा
भोली माँ ……
सिन्ह पर भई असवार,
भोली माँ,
चिंतपूर्णी चिंता दूर
भोली माँ………
एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूल सम्भालो,
भोली माँ……
चौथे हाथ चक्कर गदा,
पाँचवे-छठे मुण्ड़ो की माला,
भोली माँ ………..
सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे,
आठवे से असुर संहारो,
भोली माँ……….
चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाये,
भोली माँ ……..
हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान,
भोली माँ……….
औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया,
भोली माँ……..
सुमन चरण ध्यानु जस गावे,
भक्तां दी पज निभाओ
भोली माँ ………..
जै चिन्त्पुर्णी माता, चिन्ता हरो माता |
जीवन मेँ सुख दे दो,
कश्ट हरो माता ||
ॐ जय चिन्त्पुर्णी माता…
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